जब ऋषि वशिष्ठ ने कहा - हे राम! *हानि,लाभ,जीवन, मरण, यश और अपयश सब विधि के हाथ में हैं।*
तब श्रीराम ने पूछा - *तो मनुष्य के हाथ में क्या है..??*
ऋषि वशिष्ठ बोले- *कर्म...*
उसी से वह अपने *भाग्य* का निर्माण करता है।
तब श्रीराम ने पूछा - *तो मनुष्य के हाथ में क्या है..??*
ऋषि वशिष्ठ बोले- *कर्म...*
उसी से वह अपने *भाग्य* का निर्माण करता है।
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